Monday 22 December 2014

एक दरख्शां तो है

एक दरख्शां तो है 


क्या फ़र्क़ पड़ता है 
वो मेरी जां हो कि ना हो 
एक दरख्शां तो है 
चलो उस पे मर के देखते हैं
होश गंवा के देखते हैं 
थोड़ा पर जला के देखते हैं  
वो मेरा यार हो कि ना हो 
हुस्न ए इन्सां तो है 
एक दरख्शां तो है 

क्या फ़र्क़ पड़ता है 
वो मेरी जां हो कि ना हो 
चलो इश्क़ कर के देखते हैं 
तड़प के देखते हैं 
थोड़ा महक के देखते हैं 
वो मेरी  हम सफर हो कि ना हो 
ज़रा मेहरबां तो है 
एक दरख्शां तो है


क्या फ़र्क़ पड़ता है 
वो मेरी जां हो कि ना हो 
चलो बात करके देखते हैं 
हाल ए दिल बता के देखते हैं 
थोड़ा सता के देखते हैं 
वो मेरी जानां हो कि ना हो 
सबब ए दिल ए परेशां तो है 
एक दरख्शां तो है


क्या फ़र्क़ पड़ता है 
वो मेरी जां हो कि ना हो 
चलो कुछ शेर कह के देखते हैं 
अफसाना सुना के देखते हैं 
थोड़ा नज़्म बना के देखते हैं 
वो मेरी कहकशां हो कि ना हो 
असरार ए ज़ुबां तो है 
एक दरख्शां तो है

असरारुल हक़ जीलानी
तारीख : 22 दिसम्बर 2014

दरख्शां : Dazzling - extremely bright, especially so as to blind the eyes temporarily,  beautiful
कहकशां : galaxy
असरार : mystery, secret

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